इस संबंध में टेलर ने प्रत्येक क्रिया का विस्तृत अध्ययन करके यह पता लगाया कि थकान कब, क्यों और कैसे होती है तथा उसे किस प्रकार सुधारा जा सकता है।
उचित प्रयोग करने के पश्चात टेलर इस निष्कर्ष पर पहुंचे कि थकान को दो प्रकार से कम किया जा सकता है - एक तो कार्य के बीच में आराम का समय देकर और दूसरे कार्य की उचित मात्रा निश्चित करके। श्रमिक भी इससे स्फूर्ति का अनुभव करता है।